AKHAND YOG - Dhanaulti Tour Oct. 2019
ओम आनंदम
आनन्दमय जीवन धारा द्वारा धनौल्टी, उत्तराखण्ड के होटल ड्राइव इन में 10 अक्टूबर से 13 अक्टूबर तक "एक पृथ्वी एक मनुष्यता" के विषय पर चार दिवसीय अखण्ड ध्यान योग कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से साधक मित्र शामिल हुए। यह चार दिनों की योग एवं ध्यान यात्रा प्रकृति के मनोरम एवं शुद्ध वातावरण में बहुत ही खूबसूरती से मैत्री मिलन ध्यान से शुरू हुई और निर्वाण ध्यान पर समाप्त हुई।
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इस आनन्दमय यात्रा में साधकों ने सद्गुरु परम् आनन्द मैत्रेय एवं माँ भावना जी के सानिध्य एवं मार्गदर्शन में औंकार दीक्षा ग्रहण करते हुए परम् आनन्द को प्राप्त किया।
इस ध्यान यात्रा में स्वामी जी ने सभी को प्रेम, मैत्री, और आनन्दपूर्ण होने के सूत्र प्रदान किए और सभी साधकों को सिखाया की कैसे हम ध्यान द्वारा अपने अहंकार को तिरोहित करके प्रेमपूर्ण होते हुए मानव निर्मित सीमाओं को तोड़कर "एक पृथ्वी एक मनुष्यता" को सार्थक कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि मनुष्य ने सदियों से अपने अहंकार के कारण इस पृथ्वी को अनेकों युद्ध दिए हैं लेकिन उन युद्धों से कभो भी किसी का भला न हो पाया है ना ही कभी भविष्य में हो पाएगा अपितु भगवान महावीर, भगवान बुद्ध व ओशो जैसे महान प्रज्ञाचक्षुओं ने प्रेम, करुणा व मैत्री से करोड़ों लोगों के जीवन को बदल दिया। उन्होंने कहा कि केवल और केवल ध्यान ही एकमात्र ऐसा साधन है जिससे "एक पृथ्वी एक मनुष्यता" के भाव को स्थापित किया जा सकता है और सम्पूर्ण मानवता द्वेष, अशांति से निकलकर प्रेम, शांति व आनन्दपूर्ण हो सकती है। सद्गुरु ने सन्देश दिया कि केवल एक व्यक्ति के बदलाव से परिवार बदलता है, परिवार से समाज, समाज से देश और देशों से सम्पूर्ण पृथ्वी बदल सकती है अतः ध्यान सम्पूर्ण मानवता में सकारात्मक बदलाव की शक्ति रखता है। चार दिनों की यह यात्रा ध्यानमय, प्रेमपूर्ण, शांतिपूर्ण, व आनन्दमय रही।
इस दौरान सभी साधक मित्रों ने धनौल्टी में विभिन्न पर्यटक स्थलों जैसे ईको पार्क, सुरखण्डा देवी मंदिर आदि स्थानों पर घूमने का भी आनन्द प्राप्त किया।
अंतिम दिन सद्गुरु व माँ भावना जी ने साधकों को औंकार दीक्षा प्रदान की और संसार में रहें तो प्रेम में व एकांत में रहें तो ध्यान में चले जाएं के सन्देश के साथ सबको आशीर्वाद प्रदान किया।
अखण्ड ध्यान योग की चार दिन की यात्रा में आनन्दमय जीवन धारा के मैत्रेय सेवा संघ के मैत्रेय कृष्ण मित्तालिया, डॉ. विजय आनन्द, मैत्रेय सुभाष गुप्ता, श्री रूपकिशोर अग्रवाल आदि मित्रों की सेवा व पूर्ण सहयोग रहा। सभी सहयोगी मित्रों और यात्रा में शामिल सभी साधकों का हृदय की गहराईयों से बहुत-बहुत आभार।
सभी साधक मित्र हिमालय की हसीन वादियों और प्रकृति की गोद में चली चार दिन की अपनी ध्यानमय आध्यात्मिक यात्रा के बाद दोबारा मिलने के वादे के साथ अपनी सांसारिक यात्रा पर निकल पड़े और सबसे विदा ली।
|| ओम आनंदम ||